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क्या होता है आर्मी डे पर, केएम करियप्पा से जुड़ी खास बातें |

 Indian Army Day 2021: जानें 15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है


आज 15 जनवरी को पूरा देश 72वां सेना दिवस मना रहा है। आजादी के बाद से हर साल ये दिन मनाया जाता रहा है। लेकिन कई लोगों के मन में ये सवाल आता होगा कि हम 15 जनवरी को ही भारतीय सेना दिवस क्यों मनाते हैं? इसका जवाब हम आपको बता रहे हैं। दरअसल साल 1949 में आज ही के दिन भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर के स्थान पर तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ बने थे। इसी उपलक्ष्य में इस दिन को सेना दिवस घोषित किया गया। 

क्या होता है आर्मी डे पर

हर साल आर्मी डे को धूमधाम के साथ मनाया जाता है. 15 जनवरी को जवानों के दस्ते और अलग-अलग रेजिमेंट की परेड होती है. इसके अलावा इस दिन झांकियां भी निकाली जाती हैं.
भारतीय सेना

* भारतीय आर्मी का गठन 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता में किया था। 

* इंडियन आर्मी चीन और अमेरिका के साथ दुनिया की तीन सबसे आर्मी में शामिल है। 

* 2013 में उत्तराखंड के बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए चलाया जाने वाला 'ऑपरेशन राहत' दुनिया का सबसे बड़ा सिविलियन रेस्क्यू ऑपरेशन था।

* यह दिन सैन्य परेडों, सैन्य प्रदर्शनियों व अन्य आधिकारिक कार्यक्रमों के साथ नई दिल्ली व सभी सेना मुख्यालयों में मनाया जाता है। आर्मी के जवानों के दस्ते और अलग-अलग रेजिमेंट की परेड होती है। इस दिन उन सभी बहादुर सेनानियों को सलामी भी दी जाती है जिन्होंने कभी ना कभी अपने देश और लोगों की सलामती के लिये अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया। 

* सेना दिवस के मौके पर सेना के कई दस्ते और रेजिमेंट परेड में हिस्सा लेते हैं। इसके साथ कई झांकियां भी निकाली जाती हैं। सेना दिवस को हर बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 

केएम करियप्पा से जुड़ी खास बातें

1. केएम करियप्पा को फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई थी. भारतीय इतिहास में अभी तक यह उपाधि सिर्फ दो अधिकारियों को दी गई है. 

2. उन्होने सन् 1947 के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया था. 

3. 1899 में कर्नाटक के कुर्ग में जन्मे फील्ड मार्शल करिअप्पा ने महज 20 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी की शुरुआत की थी.

4. करिअप्पा साल 1953 में रिटायर हुए थे और 1993 में 94 साल की आयु में उनका निधन हुआ था

5. जनरल करिअप्पा को 28 अप्रैल, 1986 को फील्ड मार्शल का रैंक प्रदान किया गया था।

6. दूसरे विश्व युद्ध में बर्मा में जापानियों को शिकस्त देने के लिए उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का प्रतिष्ठित तमगा दिया गया था।

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