गुरु नानक देव की 551वीं जयंती पर 600 से ज्यादा भारतीय सिख श्रद्धालु पाकिस्तान पहुंचे
गुरु नानक देव की 551वीं जयंती पर ननकाना साहिब में होने वाले उत्सव में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को वाघा बॉर्डर के जरिए 600 से ज्यादा भारतीय सिख श्रद्धालु यहां पहुंचे.
लाहौर: गुरु नानक देव की 551वीं जयंती (551st birth anniversary of Guru Nanak Dev) पर ननकाना साहिब (Nankana Sahib) में होने वाले उत्सव में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को वाघा बॉर्डर के जरिए 600 से ज्यादा भारतीय सिख श्रद्धालु यहां पहुंचे. ननकाना साहिब सिख धर्म के संस्थापक की जन्म स्थली है. इससे संबंधित मुख्य कार्यक्रम पंजाब प्रांत के गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में 30 नवंबर को आयोजित किया जाएगा. ‘इवेक्यूइ ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड' के प्रवक्ता आसिफ हाशमी ने पीटीआई को बताया, ‘‘आज यहां वाघा बॉर्डर के जरिए 602 भारतीय सिख श्रद्धालु बाबा गुरु नानक की 551वीं जयंती का उत्सव मनाने के लिए ननकाना साहिब पहुंचे हैं.'' श्रद्धालु 10 दिनों की यात्रा के दौरान प्रांत के अन्य गुरुद्वारों के भी दर्शन करेंगे. भारतीय उच्चायोग के दो सदस्य आर बी सोहरन और संतोष कुमार श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए इस्लामाबाद से वाघा पहुंचे थे.
सिख धर्म के गुरु
सिख धर्म की प्रार्थना जपजी साहिब गुरु नानक देव जी द्वारा लिखी गई थी।
सिख धर्म को मानने वाले लोग इसी प्रार्थना का सिमरन करते हैं। साथ ही गुरु नानक देव जी से संसार में सुख-शांति प्रदान की कामना करते हैं। सिख धर्म के गुरुओं में पहले गुरु – नानक देव, दूसरे गुरु – गुरु अंगद देव, तीसरे गुरु – गुरु अमर दास, चौथे गुरु – गुरु राम दास, पाचंवे गुरु – गुरु अर्जुन देव, छठे गुरु – गुरु हरगोबिन्द, सातवें गुरु – गुरु हर राय, आठवें गुरु – गुरु हर किशन, नौवें गुरु – गुरु तेग बहादुर और दसवें गुरु – गुरु गोबिंद सिंह जी हैं।
गुरुनानक देव जी की दस शिक्षाएं
1. ईश्वर एक है.
2. सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो.
3. ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है.
4. ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता.
5. ईमानदारी से और मेहनत कर के उदरपूर्ति करनी चाहिए.
6. बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं.
7. सदैव प्रसन्न रहना चाहिए. ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए.
8. मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए.
9. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं.
10. भोजन शरीर को ज़िंदा रखने के लिए जरूरी है पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है.
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